भूमिका (Introduction)
हम अपने परिवेश में अनेक वस्तुएँ देखते हैं जो एक निश्चित प्रतिरूप (pattern) का अनुसरण करती हैं। इसके कुछ उदहारण हैं,मकई के भुट्टे पर दाने,सूरजमुखी फूल की पंखुरियाँ इत्यादि। ठीक इसी प्रकार से एक निश्चित प्रतिरूप का अनुसरण करने वाली संख्याओं भी लिखी जा सकती हैं।
उदहारण (1) 3,5,7,9 ............
यहाँ संख्यायें एक ही राशि 3 से बढ़ती जाती हैं।
उदहारण (2) शिक्षकों का वेतन 20,000 रुo मासिक से आरंभ होता है और 1000 रूo की वार्षिक वृद्धि दी जाती है। तब शिक्षक का वेतन (रुपयों) पहले वर्ष,दूसरे वर्ष ,तीसरे वर्ष ,इत्यादि के लिए क्रमशः 20,000 ,21,000 ,22,000 ,23000 ,........... होगा।
उदहारण (3) 3,6,12,24,...........
यहाँ बाद वाली संख्यायें, ठीक पहले की संख्या में एक नियत संख्या 2 से गुना कर प्राप्त की जाती हैं।
उदाहरण (4) 1^3 ,2^3,3^3,4^3 ,...........
यहाँ पहले की संख्ययें , क्रमागत प्राकृतिक संख्याओं को घन करने से प्राप्त होती हैं।
ऊपर वर्णित सभी उदाहरणों में हम पाते हैं कि एक निश्चित प्रतिरूप का अनुसरण किया गया है। इस अध्ययाय में हम संख्याओं के प्रतिरूप का अध्ययन करेंगें जिसे अनुक्रम(Sequence) कहते हैं।
अनुक्रम(Sequence) का अर्थ है वस्तुओं(संख्याओं) का समूह जो अपने पूर्व की वस्तुओं (संख्याओं) का अनुसरण करता है और यह पहला सदस्य,दूसरा सदस्य ,तीसरा सदस्य ,चौथा सदस्य और इसी तरह आगे जाना जाता है। गणित में अनुक्रम का अर्थ वही है जो अंग्रेजी में sequence का होता है।
श्रेढ़ी (श्रेणी,progression) से हमारा अभिप्राय है एक अनुक्रम जिसके सदस्य एक विशिष्ट नियम या प्रतिरूप का अनुसरण करते हैं। इस अध्याय में विशेष प्रकार के श्रेढियों (श्रेणीयों, progressions) के बारे में अध्ययन करेंगे जिसे समान्तर श्रेढ़ी (Arithmetic Progression) कहा जाता है।
अनुक्रम के पद (Terms of Sequence)
किसी अनुक्रम के सदस्य उसके पद कहलाते हैं।
किसी अनुक्रम का पहला,दूसरा ,तीसरा , ... पद क्रमशः t1, t2 ,t3 ,t4 ,........ या a1, a2 ,a3 ,a4 ,........ से व्यक्त किये जाते हैं। किसी अनुक्रम का n वाँ पद सामान्यतः व्यापक पद (general Term) कहलाता है और इसे tn या an से व्यक्त किया जाता है।
उदहारण: अनुक्रम 1,4,7,10,13, ........ के लिए a1=1 , a2=4 ,a3=7 ,a4=10, इत्यादि।
श्रेढ़ी(श्रेणी) (progression):
यदि किसी अनुक्रम के पद,किसी विशेष शर्तों के अंतर्गत लिखे जाते हैं,तब अनुक्रम को श्रेढ़ी (श्रेणी या progression) कहते है।,यहाँ हम एक विशेष प्रकार के श्रेढ़ी (श्रेणी) का अध्ययन करेंगे जिसे समान्तर श्रेढ़ी (श्रेणी) (arithmetic Progression)(A.P) कहा जाता है।
समान्तर श्रेढ़ी (Arithmetic Progression):
परिभाषा : संख्याओं के एक अनुक्रम को समांतर श्रेढ़ी कहा जाता है यदि उसके किसी पद और उसके पूर्व पद का अन्तर सदैव नियत हो। यह नियत संख्या समान्तर श्रेढ़ी का सर्वान्तर(Common Difference) कहलाती है।
दूसरे शब्दों में संख्याओं का अनुक्रम,समांतर श्रेढ़ी कहाः जाता है यदि अनुक्रम का प्रत्येक पद,इसके पूर्व में (प्रथम पद को छोड़कर) एक नियत संख्या जोड़ने से प्राप्त होती है। यह नियत संख्या,धनात्मक ऋणात्मक या शून्य हो सकती है और इसे A.P का सर्वान्तर-अंतर (Common Differnce ,c.d) कहते है।
उदहारण : (i) 1, 4, 7, 10, 13,.........
(ii) 5, 3, 1, -1, -3, -5, -7,............
(iii) 4, 4, 4,........
(iv) -2.5, -3, -3.5, -4, -4.5,..........
उपर्युक्त उदाहरणों में हम देखते है कि प्रत्येक पद को पूर्व पद में एक नियत संख्या जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है।
उदहारण (1) में प्रत्येक पद, इसके पूर्व पद में 3 जोड़ने से प्राप्त होता है।
उदाहरण (2) में प्रत्येक पद, इसके पूर्व पद में -2 जोड़ने से प्राप्त होता है।
उदहारण (3) में प्रत्येक पद, इसके पूर्व में 0 जोड़ने से प्राप्त होता है।
उदहारण (4) में प्रत्येक पद, इसके पूर्व पद में -0.5 जोड़ने से प्राप्त होता है।
ऊपर दिए गए सभी अनुक्रम, समान्तर श्रेढ़ी के उदहारण हैं।